Monday 13 August, 2012

योग गुरु रामदेव शून्य से शिखर तक

हरियाणा के छोटे से गाँउ का बालक रामकृष्ण यादव, आज योग गुरु स्वामी रामदेव के नाम से जाना जाने लगा है।योग और आयुर्वेद के क्षेत्र मे स्वामी रामदेव को विश्व भर मे ख्याति तथा सम्मान प्राप्त है।चूंकि बाबा रामदेव बचपन से ही सुभाषचंद्र बोस और रामप्रसाद बिस्मिल सरीखे देशभक्त और क्रांतिकारी विचारों वाले भारत के अमर शहीदों की वीर गाथा से प्रभावित रहे हैं इसलिये यह क्रांतिकारी चरित्र उन्हे देश सेवा के लिये प्रेरित करता रहा है।योग और आयुर्वेद के क्षेत्र मे उनकी ख्याति किसी से छुपी नहीं है।देशभक्ति की भावना ने बाबा को देश के समस्यायों के निवारण हेतु जनता की आवाज बनने का साहस दिया।बाबा रामदेव के आंदोलन को बहुआयामी माना जा सकता है।बहुआयामी से मेरा तात्पर्य है की बाबा ने अपने आंदोलन को किसी एक मुद्दे तक सीमित न रखते हुये अपने आंदोलन मे बहुत सारे मुद्दो को समेटा है।स्वामी रामदेव ने अपने मुहिम को 'भारत स्वाभिमान आंदोलन' का नाम दिया तथा इसकी शुरुआत देश भर मे यात्रा कर लोगो को जागृत करने से हुई।बाद में राष्ट्रमंडल खेलो से जुड़े महाघोटाले पर बाबा ने 2लाख लोगो के साथ दिल्ली मे संसद थाने मे FIR दर्ज कराई।

           उद्देश्य

आंदोलन की पृष्ठभूमि जानने के बाद इसके उद्देश्य को जानना जरूरी हो जाता है।बाबा रामदेव के अनुसार उनका आंदोलन देश को बहुराष्ट्रीये कंपनियो के चंगुल से निकाल कर देश के घरेलू उद्योग धंधे को शशक्त कर सक्षम बनाना है।वह देशवाशियों से स्वदेशी उत्पादो को खरीदने की अपील करते है।बाबा का उद्देश्य भारत के अर्थव्यवस्था को स्वदेशी और मजबूत आदर देना है।बाबा रामदेव भारत के बाहर जमा देश के कलेधन को भी भारत मे लाना चाहते है और इसलिए वे आंदोलन के माध्यम से सरकार पर दबाव बनाना चाह रहे हैं।
                                बाबा रामदेव कभी कभी अतिमहत्वाकांछी भी होते दिखते है और उन्होने अपने आंदोलन को बहुआयामी बनाने के साथ दिग्भ्रमित भी बना लिया।अब उनके पास अनेकों मुद्दे है और हल मे उन्होने अन्ना टीम के टूटने के बाद दिल्ली आंदोलन मे लोकपाल के लड़ाई को आगे बढ़ाने की बात की है।बाबा देश के शिक्षण पद्धति मे हिन्दी,संस्कृत और अन्य क्षेत्रीय भाषा के वर्चस्व को कायम करना चाहते है।

आन्दोलन की सफलता

अब तक बाबा का आंदोलन सरकार को झुका नहीं पाई और काला धन,विदेशी कंपनियो के मामले मे सरकार के कान मे जूं तक नहीं रेंगी।दिल्ली मे चल रहा तत्कालीन आंदोलन को बाबा के आंदोलन का दूसरा चरण मान सकते है।पिछली बार रामलीला मैदान में अनसन के दौरान सरकार की क्रूरता पूर्ण कार्यवाही ने बाबा को अनसल अस्थली छोर कर भागने पर मजबूर कर दिया।पर इस क्रांतिकारी बाबा के लिये सरकार के अत्याचारों से लड़ना मानो बच्चों का खेल हो।बाबा ने एकबार फिर आंदोलन का बिगुल फूंका है और अब देखना है इसबार बाबा सरकार को कितना विवश कर पाते है।

बाबा के राजनीतिक विचार

अपने यात्रा और आंदोलन के दौरान बाबा मीडिया मे अपने राजनीतिक विचार के बारे में बताते रहते है।उन्होने खुद के चुनाव लड़ने वाली बात से हमेशा इंकार किया है पर देश की राजनीति मे एक मार्गदर्शक के रूप मे सक्रिय होने में उन्हे कोई आपत्ति नहीं है।सन्यासी को उन्होने राजा का मार्गदर्शक बताते हुये उन्होने खुद को देश के उत्थान के लिये समर्पित माना है।कभी-कभी बाबा के मुंह से भारतीय जनता पार्टी को चुनाव में  समर्थन देने की बातें भी सुनी गई है।
                    टीम अन्ना के भंग होने तथा उनके राजनीतिक पार्टी बनाये जाने की घोषणा के बाद जनता बाबा के साथ कितना चल पाती है यह तो भविष्य की बातें है पर अब तक के चले आंदोलन और अनसन मे बाबा को जनता का सहयोग मिला है।

चुनौतियाँ

बाबा का सामने अभी काफी चुनौतियाँ है और निकट भविष्य मे आंदोलन के सफल होने की संभावना कम दिखती है।चुनाव के समय विपक्ष की तरह सरकार का विरोध करने वाले बाबा को सरकारी दमन का सामना करना पर सकता है।और बाबा की माने तो उनको सरकार के द्वारा अनेकों षड्यंत्रो के माध्यम से फंसाया जा रहा है।बाबा के सहयोगी बलकृष्ण के फर्जी दस्तावेजों के मुकदमे को भी बाबा उनके खिलाफ सजिस का हिस्सा मानते है।
                       अगर योगगुरु स्वामी रामदेव आने वालों चुनौतियों को स्वीकार कर लड़ सके और जनता का साथ उन्हे मिलता रहा तो वो दिन दूर नहीं जब बाबा का नाम देश के महापुरुषों के साथ लिया जाने लगेगा।पर उसके लिये जरूरत है एक ईमानदार पहल की क्योंकि देश के लोगो को अधिक समय तक कोई निजी स्वार्थवस बांधे नहीं रह सकता।अब तक के सफर को देखते हुये फिलहाल हम इतना जरूर कहेंगे की ये सफर "शून्य से शिखर तक" का था।बाबा जनता के उम्मीदों के शिखर पर है और एक गैर राजनीतिक छवि के साथ उन्होने बहुत सारा काम देश की जनताओं के लिये किया है।संभावनाओं के संसार में शायद बाबा अब एक बदलाव की संभावना के रूप मे सामने आये है।