Wednesday 8 August, 2012

असम दंगा (एक अंतहीन सी समस्या)

हाल मे असम का नाम आया मीडिया मे।कुछ खास उपलब्धि के लिये नहीं,बल्कि एक अनहोनी और मानवता पर कलंक के समान हृदय विदारक दंगो के वजह से।हृदय विदारक इसलिए क्योकि वहा की स्थिति भयावह बन चुकी है।उस क्षेत्र की सच्ची तस्वीर मीडिया ने नहीं दिखाया या हमारी मीडिया चुप ही रहना पसंद करती है ऐसे मामलो में।मै असम मेँ रह चूका हू।और अपनी नज़र मे उस दंगे की सच्ची तस्वीर दिखाने की चेष्टा करूंगा।
वैसे तो असम की प्रकृतिक संसाधनो,कुदरत के मनोरम दृश्यो,समृद्ध संस्कृति का धनी है परन्तु आजकल दंगो की वजह से चर्चा मे है।
दंगो की पृस्ठ भूमि
दंगे के कारणो को समझने के लिये इनके पृषभूमि को समझना होगा जो 90 के दशक से बननी शुरू हो चुकी थी।
बोड़ो समुदाय अपने क्षेत्र पर अपना एकाधिकार मानते है।और वह 90 के दशक मे संथाल वर्ग की जनसंख्या काफी कम थी और इनका बोड़ो समुदाय के साथ टकराव होता ही रहता था।1992 के दंगो मे बस दो समुदाय के बीच जातिये हिंसा हुई थी।और इन्ही कारणों से वहाँ उस क्षेत्र को कुछ विशेष स्वायतता दिया गया था ताकि वहा के कानून व्यवस्था को दुरुस्त किया जा सके।10फरबरी 2003 को "बोड़ो लिब्रेसन टटाइगर फोर्स" के आत्मसमर्पण के बाद बोड़ो टेरीटोरियल काउंसिल की स्थापना की गई।इनमे असम के कुछ जिले जैसे कोकराझार,बस्का,उदलगुरी,चिरांग को शामिल किया गया।भारत के संविधान के अनुछेद 6 के तहत यह स्वायतता दी गई।इसका कोई ज्यादा प्रभाव नहीं पड़ा और वहा के बोड़ो एक अलग राज्य "बोडोलेंड" की मांग पर अडिग रहे और वहा अनेक संगठिक सशस्त्र ग्रुप ने जन्म लिया और समय समय पर उत्पात मचाते रहे।
दंगो की वजह
दंगो मे शामिल दो गुट मे एक तो बोड़ो समुदाय विशेषकर हिन्दू साथ ही दूसरा गुट बंगलादेशी घुसपैठियों और बोड़ो मुस्लिम का है। दंगो की पृस्ठभूमि समझने के बाद अब बारी है हाल मे हुये दंगो के वजह हो समझने की।दंगो का तत्कालीन वजह जो भी समझा जाए पर इतना निश्चित है की बोड़ो बांग्लादेशियों के बढ़ते घुसपैठ के बीच अपने अलग राज्य की मांगो को कमजोर परता देख रहे है और कुछ क्षेत्रो मे बांग्लादेशियों की तादाद वहाँ के स्थानिये लोगो की तुलना मे अधिक हो चुका है।वहाँ घुसपैठिए अपनी जड़े जमा चुके है तथा अलग राज्य के मांग का समर्थन न कर उसके विरोध में आंदोलन कर वहाँ के एक छात्र संगठन ने दंगे की तत्कालीन वजह बनने का काम किया।बोड़ो और मुस्लिम समुदाय मे अविश्वास फैल चुका था।।ध्यान रहे की ये दोनों गुट तत्कालीन काँग्रेस सरकार का समर्थक है।और सरकार ने उनके अपने मे ही अलग राज्य के मांग के विरोध का शूर उठवा दिया।चूंकि बोड़ो समुदाय अपने आंदोलनो मेँ  हिंसा और हथियार का प्रयोग जम कर करते रहे है इस वजह से अब किसी बड़े हिंसा को होने से कोई रोक नहीं सकता था।सरकार बोडोलेंड राज्य की मांग को स्वीकार नहीं रही थी तथा वहाँ बांग्लादेशियों की तादाद दिन प्रतिदिन बढ़ती जा रही थी।इन सब वजहों से बोड़ो के कुछ सशस्त्र गुट ने हिंसा की शुरुआत कर दी।अब भला वह के घुसपैठिए वर्ग क्यो चुप बैठने लगे।तात्कालीन सरकार भी तो उनके साथ है और  अपने वोट बैंक को सुरक्षित करने हेतु उसने उन सबको भारत का पासपोर्ट,राशन कार्ड,मतदाता सूची मे नाम आदी सुविधाए घुसपैठियों को आसानी से उपलब्ध कराई हुई है।तो दोनों समूह के अत्यधिक शक्तिशाली होने के कारण इतना अधिक विध्वंशकारी दंगा मूर्त रूप ले चुका है।दंगे ही प्रबल संभावना को देखते हुये भी सरकार ने भोली भली जनता के सुरक्षा का कोई उपाय नहीं किया।और अब तक 4लाख से ज्यादा लोग बेघर हो चुके है।और लोगो के मरने का क्रम जारी है।
समाधान
इस दंगे का कोई भी समाधान वर्तमान मे नज़र नहीं आता।अब सवाल यह है की क्या बंगलादेशी सिर्फ बोडोलेंड वाले क्षेत्र मे है?जी नहीं वह तो पूरे असम के साथ बिहार और पूरे देश मे फैल रहे है।तो अगर आगे आने वाले दंगो से देश को बचाना है तो घुसपैठ रोकना होगा।उस वोट का क्या करेंगे जब देश ही नहीं रहेगा।
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3 comments:

thodidilthodidimagki said...

achi hai, samsya pe gehre se vichari hui.

Soumitra Roy said...

अच्‍छा लिखा है। लेकिन मुझे यह पूरे मामले का एक छोटा पक्ष ही लगा। इसके सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक पहलुओं को देखना चाहिए। मैं आगे यही उम्‍मीद करूंगा।

Soumitra Roy said...

अच्‍छा लिखा है। लेकिन मुझे यह पूरे मामले का एक छोटा पक्ष ही लगा। इसके सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक पहलुओं को देखना चाहिए। मैं आगे यही उम्‍मीद करूंगा।